अभी हमारे देश मे जो साम्प्रदायिकता का माहौल बना हुआ है उसमें एक हिस्सा ऐसी मीडिया का है जो रात दिन नफरत फैला रहा है गेप बना रहा है इस तरह कि मीडिया का बहुत बड़ा हस्तक्षेप है ऐसे मामलों में और हर बार यह बच जाते हैं नूपुर शर्मा को ही ले लीजिए नाविक कुमार उस डिबेट की एंकर थी जिस शो में नुपुर शर्मा ने यह टिप्पणी की मेरी जानकारी में अभी तक उस मीडिया हाउस कि तरफ से मामले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है नुपुर शर्मा पर तो फिर भी कुछ कार्यवाही हुई है और उन्होने इसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी है लेकिन टाइम्स नाउ की एंकर नविका कुमार ने न तो माफी मांगी न ही उन पर कोई कार्यवाही हुई क्यों...? जबकि होना यह चाइए कि मीडिया ग्रुप व सभी जिम्मेदार लोगों को नविका कुमार का इस्तीफे कि माँग करनी चाहिए व कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।

नूपुर शर्मा के द्वारा दिये गए गैरजिम्मेदाराना बयान पर प्रसासनिक कार्यवाहियों में जो ढील बरती जा रही हैरान करने वाली है नूपुर शर्मा के इस बयान कि वजह से पूरे देश में साम्प्रदायिकता का माहौल बन सकता है जिससे नफरते बढ़ेगी दंगे व हत्याएं हो सकती है जिसका सबसे ज्यादा फायदा भी बीजेपी उठाएगी इनको एक मौका मिला है दंगे व हत्याएं प्रायोजित कर वोट बैंक साधने का सोचिए अगर कोई ऊंचनीच देश मे हुई तो कितना नुकसान होगा..?

नविका कुमार, नूपुर शर्मा सामुहिक तौर पर पूरे देश से उसी चैनल माफ़ी मांगे व नफरतों से दूर रहने कि पेशकश कर ख़ुद को गिरफ्तार करवाये।

अब यह समझ लीजिए कि मीडिया चेनलो में इस तरह कि डिबेट कभी सीधी लाइव प्रसारित नही होती कुछ मिनट का अंतर होता है ताकि किसी तरह के विवाद से बचा जा सके यह बहुत पहले से है एक बार दूरदर्शन पर एक लाइव प्रोग्राम में किसी बच्चे ने यह बोल दिया कि गली गली में शोर है हमारा प्रधानमंत्री चोर है उसके बाद दूरदर्शन पर एक्शन हुआ और आज भी दूरदर्शन पर समाचार व प्रोग्रामिंग लाइव नहीं होता है यह बात पुरानी है लेकिन इस मीडिया ने यह नहीं किया उस हिस्से को प्रसारित होने से रोका जा सकता था यदि प्रसारित हो भी गया था तो भी नेट पर डालने से पहले एडिट किया जा सकता था लेकिन नही किया गया क्यों ?

हमारे समाज में सबसे ज्यादा गंदगी ऐसे ही मीडिया हाउस ने मचाई हुई हैं यह लोग रोज नवाबी मुर्गे लड़ाकर आपकी भावनाओं से खेलते हैं ऐसी नफरती डिबेट्स हमारे देश को बहुत नुकसान पहूँचाया है...

यह जग जाहिर है कि टीआरपी के लिए मीडिया यह सब कुछ करता है मान लिया कि यह सब एक योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है लेकिन हम आप भी कुछ कर सकते हैं या नहीं..?

जी कर सकते हैं सबसे पहले न्यूज चैनलों पर धार्मिक आधार पर दिखाई जा रही बहसों का बहिष्कार कीजिए टीवी में न्यूज़ चैनलों को इग्नोर कीजिये कोशिश कीजिये इंग्लिश न्यूज़ औऱ इंटरनेशनल न्यूज़ को तव्वजो दीजिये हिंदी की फैक्ट चेकिंग साइट्स विजिट करते रहिए नफरत फैलाने वाली डिबेट्स जो news 18, आज तक, जी न्यूज, एबीपी और रिपब्लिक जैसे चैनलो पर चलती है ऐसी कोई भी बहस चलती दिखाई दे तो तुरंत दूसरा चैनल लगा लीजिये अवॉइड कीजिये...

ऐसी नफरती डिबेट में जाने वाले लोग फिक्स होते हैं पहले से सेटअप होता है कि माहौल बनाना है वैसे इन सभी डिबेट्स में जानें वाले पांच हजारी मुल्लो और धर्म के ठेकेदारों का सामाजिक बहिष्कार कीजिए.।

टीवी चैनल को चलाने में करोड़ों रुपए लगते है उनकी टीआरपी घटाइए ताकि उन्हें विज्ञापन मिलने बंद हो जाए आप नहीं देखेंगे तो टीआरपी गिरेगी और विज्ञापन बंद होंगे तो वह उनका कारण जानना चाहेंगे पता चलेगा कि लोग ऐसी डिबेट को देखना पसंद नही कर रहे हैं जो समाज मे जहर घोल रही है तो उन्हे यह सब बंद करना ही होगा कब तक सरकार उन्हे विज्ञापन देगी मजबूर होकर वो जनता के मूल मुद्दों का रुख जरूर करेंगे।

क्या आपने पिछले एक हफ्ते से कोई बहस देखी है जिसमे ज्ञानवापी, ताजमहल कुतुब मीनार आदि में चल रही खुदाई की चर्चा हो ? जबकि 10 से 12 दिन पहले ऐसी डिबेट हर चैनल पर चल रही थी, हर बार अलग अलग मुद्दों को मीडिया ट्रेंड करती है कुछ दिन भुनाती है और फिर अच्छी न्यूज़ दिखाती है ताकि टीआरपी मैनेज रहे।

आज तक जितनी भी धार्मिक डिबेट हुई इन टीवी डिबेट का उद्देश्य समाज में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करना था वो काम बखूबी उन्होने पूरा कर लिया अगले कुछ महीनों में ये डिबेट फिर से शुरू कर दी जाएंगी और एक लेवल और बढ़ेगा नेक्स्ट लेवल की बहस स्टार्ट हो जाएगी जहां इतने दिन भी नहीं लगेंगे तुरंत ही दंगे शुरू हो जाएंगे मुझे स्पष्ट दिख रहा है कि जल्द ही भारत के सम्प्रदायिक दंगे होंगे औऱ मीडिया उन दंगो को चैनलाइज करेगा अभी ट्रेनिग चल रही है दंगाईयों कि वो मानसिक गुलाम बनाये जा रहें ताकि धर्म के नाम पर एक दूसरे का गला काटने को उतारू हो सके...।

यदि आप यह सब चाहते है तो टीवी देखते रहिए आवाज बढाते रहिए ब्लड प्रेशर सही रहेगा तो हार्ट का खतरा भी कम होगा यह एक मात्र सकारात्मक मैं सोच सकता हूँ लेकिन यदि आप ऐसा न होना देना चाहते तो ऐसे चैनलों का ऐसी डिबेट्स का बहिष्कार करना आज से ही शुरू कर दीजिए।

- किशन कुमार जोशी